क्या आप जानते है, कौन थे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक ?
आज भारत अंतरिक्ष में नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है लेकिन क्या आप लोग जानते है कि भारत को अंतरिक्ष में पहचान दिलाने में सबसे बड़ा योगदान किसका रहा है ?
नहीं जानते ना ? तो आइए हम आपको बताते है। तो वह थे डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई जी जिनका जन्म 12 अगस्त 1919 में अहमदाबाद में एक जैन परिवार में हुआ और आज उनका जन्मदिन है।
इनके पिता एक संपन्न कपड़ा व्यापारी थे और हर परिवार की तरह ही इनके पिता का भी सपना रहा होगा कि इनका बेटा भी उनके इस काम को नई उचाइयां प्रदान करें ? लेकिन कौन जानता था कि एक कपड़े के व्यापारी के घर में जन्मा साधारण से व्यक्तित्व का बच्चा एक दिन अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों तक अपना परचम लहराएगा।
अहमदाबाद में उनका पैत्रिक घर “द रिट्रीट” में उनके बचपन के समय सभी क्षेत्रों से जुड़े महत्वपूर्ण लोग आया करते थे। जिससे साराभाई के व्यक्तित्व के विकास पर एक महत्वपूर्ण असर पड़ा।
उनके पिता का नाम श्री अंबालाल साराभाई और माता का नाम श्रीमती सरला साराभाई था। ‘केम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के सेंट जॉन कॉलेज से उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
साराभाई ने 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की थी। विज्ञान के क्षेत्र उनके अभूतपूर्व कार्यों को देखते हुए साल 1962 में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
आपको बता दे कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जो आज अंतरिक्ष में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है उसकी स्थापना भी विक्रम साराभाई जी के द्वारा ही कि गई थी। रूसी स्पुतनिक के लॉन्च के बाद उन्होंने इसरो की स्थापना के बारे में विचार किया लेकिन यह सुनने में जितना सरल लग रहा है, उतना सरल नहीं रहा।
इसके लिए पहले विक्रम साराभाई को सरकार को मनाना पड़ा साथ ही उन्हें समझाना पड़ा कि भारत के लिए इसरो की स्थापना कितनी आवश्यक है। जिसके बाद 15 अगस्त 1969 में इसरो की स्थापना हुई।
आपको बता दें कि उनके द्वारा भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), अहमदाबाद, कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद, दर्पण अकाडेमी फ़ॉर परफार्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद, फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कल्पकम, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट, कोलकाता, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद, यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगुडा, बिहार जैसे कई संस्थानों को स्थापित किया गया और इतना ही नहीं विक्रम साराभाई ‘परमाणु ऊर्जा आयोग’ के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके थे।
आज जहां हर कोई पैसा और उपलब्धि कमाने के पीछे भाग रहा है, वहां इतनी उपलब्धियों के बाद भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के संथापक रहे डॉ. विक्रम साराभाई जी ने मात्र 1 रुपए वेतन पर ISRO में काम किया था।
डॉ. साराभाई को अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार (1962), पद्मभूषण (1966) और मरणोपरांत पद्मविभूषण, (1972) सम्मान से नवाजा गया।
विज्ञान जगत में देश का परचम लहराने वाले देश के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई जी का निधन 30 दिसंबर, 1971 को कोवलम, तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था।
तो यह थी हमारे देश के महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई जी के जीवन की कहानी, अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो, तो आप नीचे अपना कमेंट अवश्य छोड़े।