आपको भी यही लगता होगा कि क़तर में 22वाँ फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप खेला जा रहा है, लेकिन भारत को इसमें अब तक एक बार भी खेलने का मौका नहीं मिला ?
लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है!
1950 में ब्राज़ील में खेले जाने वाले वर्ल्ड कप में भारत हिस्सा लेने वाला था, लेकिन टीम इसमें हिस्सा नहीं ले सकी। ये उस वक्त की बात है जब दूसरे विश्व युद्ध की वजह से 1942 और 1946 में वर्ल्ड कप फ़ुटबॉल नहीं खेला गया था। इसके काफी वक्त बाद वर्ल्ड कप 1950 में खेला जाने वाला था। इसके लिए सिर्फ 33 देश क्वालिफ़ाइंग राउंड में खेलने के लिए राजी हुए थे और भारत को बर्मा और फिलीपींस के साथ ग्रुप 10 में जगह मिली थी। लेकिन बाद में बर्मा और फिलीपींस ने क्वालिफाईंग राउंड से अपना नाम वापस ले लिया।
यहां भारत बिना मैच खेले ही वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफ़ाई कर गया था। सभी लोग खुश थे, हो भी क्यों न, ऐसा पहली बार हुआ था, जब भारत को फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में शामिल होने का मौका मिला था। उसके बाद क्या था, भारत अपनी तैयारी में लग गया।
उन दिनों भी भारतीय फुटबॉल टीम कोई कच्ची टीम नहीं थी, भारत ने फुटबॉल को हमेशा से ही बहुत अच्छे खिलाड़ी दिए हैं। इसकी झलक 1948 के लंदन ओलंपिक खेलों में भी दिखाई दी थी। जब भारत ने खूब शानदार खेल दिखाया था। उस समय ओलंपिक्स को फुटबॉल विश्वकप से बड़ा माना जाता था, कई लोग तो फुटबॉल विश्वकप के बारे में जानते तक नही थे। यही वजह थी, कि भारत के फुटबॉल फेडरेशन ने कहा कि ‘टीम को इतनी दूर भेजना सही नहीं है, 1952 में होने वाले ओलंपिक्स पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।’
इसके अलावा 1950 में भारतीय फ़ुटबॉल का बहुत ज़्यादा इंटरनेशनल एक्सपोज़र भी नहीं था और उस समय ब्राज़ील जाने में बहुत समय और पैसा लगता था और जब तक भारत के पास ब्राज़ील जानें की अनुमती आई थी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उनके पास प्रैक्टिस करने का बिल्कुल वक्त नहीं था, जिसके चलते टीम ने अपना नाम वापस ले लिया।
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