कप्तान अजय कुमार रेड्डी और सुनील रमेश के शानदार शतकों की बदौलत भारत ने बांग्लादेश को 120 रन से हराकर लगातार तीसरे ब्लाइंड क्रिकेट टी-20 विश्वकप का खिताब अपने नाम कर लिया है। बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस फाइनल मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में दो विकेट के नुकसान पर 277 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। 278 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की टीम 20 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान केवल 157 रन ही बना सकी।
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“हम जैसे लोगों के लिए क्रिकेट अभी भी करियर नहीं है। मैं भगवान का आभारी हूं कि मैंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी सका, मुझे नौकरी मिली और मैं परिवार शुरु कर सका। हर किसी की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती। अगर भारतीय क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड (CABI) नहीं होता, आज हम यहां तक कभी नहीं पहुंच पाते।” – वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर और इंडियन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान अजय कुमार रेड्डी ने कहा।
11 खिलाड़ियों की Blind Cricket Team में 4 खिलाड़ी बिल्कुल नहीं देख सकते, 3 खिलाड़ी पार्शियली ब्लाइंड और बाकी के बचे हुए 4 खिलाड़ी ऐसे होते हैं, जो बहुत कम देख सकते हैं।
ब्लाइंड क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद साधारण गेंद से बड़ी होती है। ये प्लास्टिक की बनी गेंद होती है जिसमें बॉल बेअरिंग डाले जाते हैं जो आवाज़ करते हैं और इनकी आवाज़ से खिलाड़ी गेंद का अंदाज़ा लगाता है। ब्लाइंड क्रिकेट में तीनो विकेट एक साथ जुड़े होते हैं। यह विकेट स्टील की बनी होती है और यह एक साथ इसलिए बनायीं जाती है ताकि इनके गिरते ही आवाज़ हो और नेत्रहीन खिलाड़ी समझ जाये की बैट्समैन आउट हुआ है।
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