भारत अलग-अलग कलाओं और संस्कृतियों का देश है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आपको यहां हर 10 कदम पर एक नई कला और नया कलचर देखने को मिलेगा।
भारत के हर गांव, हर गली में कलाकार देखने को मिलेंगे। कहते हैं कि अगर भारत को जानना हो, तो भारत के गांव में एक बार जरूर जाकर देखों। यहां कई ऐसे गांव हैं जहां केवल कलाकार रहते हैं। इन गांव में आप भी एक बार जरूर जाएं।
रघुराजपुर
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वार से मात्र 50 किलोमीटर की दूर पर बसा यह छोटा सा गांव कला प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। इस गांव में केवल 100 परिवार रहते हैं। इस गांव की खास बात यह हे कि यहां के हर घर का हर सदस्य पेंटर है, और पेंटर भी कोई ऐसा वैसा नहीं किसी को नेशनल अवॉर्ड मिला है तो किसी को इंटरनेशनल अवॉर्ड।
कलायुर गांव
कलायुर गांव को ‘विलेज ऑफ़ कुक्स’ कहा जाता है। पुड्डुचेरी से लगभग 32 किलोमीटर दूर इस गांव की खास बात है कि यहां आपको लगभग हर घर में एक पुरुष बावर्ची मिल जाएगा। इस गांव ने सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा है। यहां हर घर में महिला नहीं बल्कि पुरुष को खाना बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
चोलामंडल
यह गांव चार दशकों से अधिक समय से अपने आप में जीवित है। इस गांव में सबसे ज्यादा कलाकार पाए जाते हैं। कलाकारों की एक पूरी कम्यूनिटी ही इस गांव में रहती है। कला और सांस्कृति से भरे हुए इस गांव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है। अगर आपको असली कला देखनी है तो एक बार इस गांव में जरूर जाना चहिए।
आंद्रेतता
कला हिमालय की पृष्ठभूमि में बसा हुआ है। आंद्रेतता, हिमाचल प्रदेश के कलाकारों का घर है। पालमपुर के पास कलाकारों के इस गांव को मिट्टी के बर्तनों की कलाकारी के लिए ज़्यादा जाना जाता है।
एकताल
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर ओड़िशा राज्य की सीमा की ओर मौजूद एक छोटा सा गांव एकताल अपनी हस्तनिर्मित धातु की शिल्पकारी के लिए मशहूर है। इस गांव में अनेकों राज्य और राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार विजेता कलाकारों का घर है। एकताल की इस कला को ढ़ोकरा शिल्प कला के नाम से जाना जाता है।
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