उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी रामपुर और आजमगढ़ दोनों ही लोकसभा सीटें बीजेपी ने जीतने में कामयाब रही है. बीजेपी ने रामपुर में घनश्याम सिंह लोधी और आजमगढ़ में दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने जीत हासिल की है. आजमगढ़ में भाजपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली तीसरे नंबर पर रहे है, आपको बता दें कि भाजपा प्रमुख मायावती का दलित-मुस्लिम फॉर्मूला यहां कारगर साबित हुआ है. इस सियासी प्रयोग को लेकर मायावती ने आगे भी चलने के संकेत दे दिए हैं. जिससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती है.
मायावती ने रामपुर लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था जबकि आजमगढ़ से गुड्डू जमाली को उतारा था। बीजेपी के निरहुआ 3,12,768 वोट मिले हैं. वहीं सपा के धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 वोट मिले है. भाजपा के गुड्डू जमाली को 2,66,210 वोट मिले है। बीजेपी 8679 वोट से जीत हासिल की है।
आजमगढ़ में लोकसभा क्षेत्र में 5 सीटें हैं. गोपालपुर, आजमगढ़ सदर, सगड़ी, मुबारकपुर और मेहनगर विधानसभा इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। फिलाल इन सभी सीटों पर सपा के विधायक हैं। इन पांचों सीटों पर 2022 चुनाव में भाजपा को 3.30 लाख, सपा को 4.35 लाख और भाजपा को 2.24 लाख वोट मिले है।
भाजपा की आजमगढ़ में वापसी का एक ही मंत्र था- दलित-मुस्लिम समीकरण। उपचुनाव में मायावती ने गुड्डू जमाली को उतारकर दलित-मुस्लिम फॉर्मूले को आजमाया है जो सफल साबित हुआ है। इस फॉर्मूले से भाजपा का वोट 2.24 लाख से 2.66 लाख हो गया है। वहीं सपा का वोट 4.35 लाख से घटकर 3.04 लाख हो गया।
मायावती ने अपना पूरा फोकस मुस्लिमों पर रखा है-
भले ही विधानसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह से हार गई है। लोकिन लोकसभा चुनाव में उसका वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ है। मायावती ने उपचुनाव में आजमगढ़ में जाकर कोई रैली नहीं की है, लेकिन उन्होनें सोशल मीडिया पर अपील की थी। खास तौर पर उन्होनें मुस्लिमों को यह समझाया है कि यदि मुस्लिम और दलित वोटर एक हो जाएं तो बीजेपी को हरा सकते है। विधानसभा में हार के बाद मायावती दलितों-मुस्लिमों पर फोकस कर रही हैं।
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