जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तब कुछ नही किया जा सकता। जब उसको अपनी शक्तियों अपने पद का अंहकार होंजाये तब वो खुद ही अपनी ज़िंदगी को खत्म करने की राह चुन लेता है। ये ऊपर की पंक्तिया सचिन वाझे जो कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे उन पर सही लगती है।
सचिन वाझे ने सरकार द्वारा दी गयी शक्तियों और पद का गलत काम के लिए इस्तमाल किया। लेकिन पुलिस का सदैव बोलना है कि कोई भी क्राइम परफेक्ट क्राइम नही होता है,क्राइम करने वाला कोई न कोई गलती कर देता है। और ये चीज़ सचिन वाझे के साथ हुई उसने अपने ही बनाये प्लान को सफल बनाने के चक्कर में खूब गलतिया कर दी। एन.आई.ए ने अपनी इस 10 हज़ार पेज की चार्जशीट में 10 लोगो को आरोपी बनाया है और मुख्य आरोपी सचिन वाझे को बताया है।आइये जानते है इस घटना को शुरू से।
25 फरवरी, 2021 शहर मुंबई जगह भारत के सबसे बड़े व्यपारी मुकेश अंबानी का और उनके घर के सामने लावारिस खड़ी कार. जब पुलिस ने उसके अंदर जाच की तो उसमें से जिलेटिन की 20 छड़ें बरामद हुई थीं. मुकेश अम्बानी के घर के बाहर इस तरह से विस्फोटक समान मिलना आम बात नही क्यों कि अम्बानी को भारत सरकार की तरफ से z+ सुरक्षा दी गयी है। विस्फोटक मिलने के बाद मुंबई पुलिस सक्रिय होगयी और इसकी जांच करने का ज़िम्मा सचिन वाझे की टीम को मिली लेकिन जब जाँच में अनदेखी पाएगी तब केंद्र सरकार ने इस केस को एन. आइ.ए को सौप दी। और जैसे ही ये केस एन.आइ.ए के पास आया रोज इस केस में नए खुलासे आने लगे। एन. आई.आए की जांच में इस कांड का केंद्र सचिन वाझे को पाया। सबसे पहले एन.आई.ए ने कार मालिक को खोजना शुरू किया तो उनको 5 मार्च को कार के मालिक मनसुख हिरेन का शव ठाणे से बरामद हुआ.धीरे धीरे जाँच आगे बढ़ी और सचिन वाझे की मुश्किल बढ़ती गयी। 13 मार्च को एन.आई.ए की टीम सचिन वाझे को पकड़ लिया और पूछताछ करने लगी। चार्जशीट में बताया गया है कि अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक भरी स्कॉर्पियो को सचिन वाझे ने ही खड़ा किया था. इसके पीछे उसका मकसद रुतबा हासिल करना था जो उसने खो दिया था. और साथ साथ अमीर और संपन्न लोगों को आतंकित करना था उनको डर दिखाकर पैसा कामना था.
NIA ने चार्जशीट में शामिल किया है,मुख्य आरोपी सचिन वाझे एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था और उसको अपना खोया रुतबा हाशिल करना था,जिसके तहत उसने अपने कुछ करीबी साथियो के साथ मिल कर इस कांड की साजिश को अंजाम दिया। सबसे पहले वाझे ने अपना टारगेट फिक्स किया और फिर प्लान के अनुसार सारा काम किया। उसने इस घटना को ऐसे अंजाम दिया जैसे ये घटना एक आंतकी घटना लगे।
NIA की चार्जशीट में सचिन वाझे पर कुल 17 आरोप लगाए हैं. इसमें आतंकवादी गतिविधि और UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया है, हत्या ,चोरी,साज़िश रचने आदि जैसे चार्ज लगाए है। इस चार्जशीट मे एनआइए ने फरवरी मिड से 5 मार्च तक कि सारी घटनाओ का जिक्र किया है।
100 दिन के लिए किया होटल बुक
सचिन वाझे किसी शातिर अपराधी की तरह काम कर रहा था , सचिन वाझे ने एक गलत आईडी से दक्षिण मुम्बई के होटल में 100 दिन के लिए एक रूम बुक किया था। और रूम किसी शुशांत खेमखा के नाम पर बुक किया, वाझे ने इस का इस्तेमाल सेफ हाउस के रूप मे किया था।
इसके अलावा सचिन वाझे ने ही मनसुख हिरेन की स्कार्पियो कार की नंबर प्लेट बदली थी. और उसने जो नंबर प्लेट उस कार में लगाया वो नीता अंबानी के काफिले की एक कार का नंबर था।
एनआइए की रिपोर्ट में सबसे पहले अम्बानी के सिक्योरिटी हेड ने धूल भरे वाहन पर साफ नंबर प्लेट ने ध्यान खींचा था. सिक्योरिटी हेड ने अपने बयान में बताया है कि उस वक्त वह एंटीलिया में सुरक्षा व्यवस्था की जांच कर रहे थे. उन्हें एंटीलिया के गेट पर हंगामा करने वाली एक महिला का फोन आया तो वह वापस चले गए थे.
एनआई के रिपोर्ट के मुताबिक सचिन वाझे कार खड़ी के बाद 25 फ़रवरी को दो बार कार के पास गया था और इसकी पुष्टि वहां लगे सीसीटीवी से होती है । सीसीटीवी में एक आदमी लंबा कुर्ता और मुंह ढक के उस कार के अंदर देख रहा है,दो घंटे के बाद वाझे घटना स्थल पे क्यों गया था इसका जवाब भी उस रिपोर्ट में दिया गया है की सचिन वाझे को डर था कि उसने अपना आईकार्ड कार में छोड़ दिया है और इसी शक को दूर करने के लिए वाझे दोबारा कार के पास गया। इस केस का मुख्य गहवा वाझे का साथी एवम अच्छा दोस्त है।
मुख्य गहवा के बयान के अनुसार, वो और वाझे अलग अलग कार एक इंनोवा और स्कार्पियो में अलग अलग वाझे के घर से रात 1.10 पर निकल गए थे। मुलुंड के पास जो टोल बूथ है उसके पास वाझे ने चेम्बूर में इंनोवा चलाने के लिए जगह बदली जब उसके साथी ने कहा चलना है पूछा तो वाझे ने उसे गुप्त मिशन CIU ऑपरेशन बताया,कारमाइकल रोड पे आने के बाद वाझे 5 मिनट तक स्किर्पियो मे बैठ रहे बाद में बाई गेट को खोल के पीछे खड़ी इंनोवा में आ गये। तभी वाझे ने अपने साथी से बोला कि उसका आईकार्ड नही मिल रहा है फिर दोनों ने इंनोवा में आईकार्ड को खोजने लगे जब आईकार्ड नही मिला तो अपने घर गए वाह भी जब नही मिला तो वाझे दोबारा उस स्कोर्पियो के पास गया अपना आईकार्ड देखने, वाझे के साथी ने बताया कि उसको गुमराह किया गया और पूरी बात नही बताइये वाझे नेउसको इस केस में फसा दिया है
एंटीलिया केस की जांच जैसे जैसे आगे जाने लगी और विभिन्न एजेंसियों ने जांच शुरू की, सचिन वाझे ने अपने दूसरे साथी मनसुख हिरेन जिसकी कार का इस्तेमाल इस कांड में हुआ उसको अपराध की जिम्मेदारी लेने का दबाव डाला और साथ मे ये भी बोला कि उसको इस केस में वो उसको जल्दी बाहर निकाल लेगा ,लेकिन मनसुख ने उसकी बात नही मानी यहां पे वाझे को अपनी योजना विफल होती लगी तो उसने मन सुख की हत्या करवा दी। इसके लिए वाझे ने प्रदीप शर्मा जो कि पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे उसने संपर्क किया और इस काम के लिए लाखो रुपयों का आफर दिया जिसे प्रदीप शर्मा इस काम को करने के लिए तैयार होगया। प्रदीप शर्मा को मनसुख की पहचान के लिए वाझे ने मन सुख को मुंबई पुलिस के हेड आफिस में बुलाया।
चार्जशीट में दावा किया गया है की सचिन वाझे 3 मार्च को अंधेरी ईस्ट में प्रदीप शर्मा से मिला और एक बैग दिया जिसमें की नकदी थी और साथ मे एक सिम दी जिसे की वो मनसुख को बुला सके जहाँ ठेके के हत्यारे उसकी हत्या कर सके, मनसुख की हत्या के दिन वाझे ने टिप्सी बार मे छापे का नाटक किया ताकि उसका कोई लिंक न मिले।.
प्रदीप शर्मा और सुनील ने फर्जी नंबर का इस्तेमाल कर के मनसुख को 4 मार्च रात 8 बजे सूरज वाटर पार्क में मिलने के लिए बुलाया. मनसुख एक ऑटो लिया और वहां पहुच गया. वहां से प्रदीप और सुनील ने उसको एक लाल कार में बैठने के लिए बोला जिसमें कॉन्ट्रैक्ट किलर बैठे थे. थोड़ी दूर जाने के बाद कार में ही मनसुख हिरेन की हत्या कर दी गई और काशेली ब्रिज के नीचे नाले में शव को फेंक दिया गया. इसके लगभग 24 घंटे में प्रदीप शर्मा के नंबर पर हिरेन की हत्या की जानकारी दी गई.