पूरे विश्व में भारत अपने त्यौहारों के लिए जाना जाता है क्योंकि त्यौहारों के समय में भारत में एक अलग ही माहौल होता है जो कि किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है और अगर बात हो भगवान श्री कृष्ण जी के जन्मदिन यानी कि जन्माष्टमी की तो क्या ही कहने।
इस दौरान बाजार और मंदिर सजे होते है और चारों तरफ खुशियां ही खुशियां फैली होती है। लेकिन इस साल लोगों को जन्माष्टमी को लेकर थोड़ी दुविधा है और दुविधा यह है कि आखिर जन्माष्टमी मनाई कब जाएगी।
क्योंकि इस बार की जन्माष्टमी 18 और 19 दो दिनों की पड़ रही है। अब सही तिथि कब की है इसे लेकर हर किसी के मन में कंफ्यूजन है। अगर आप भी जन्माष्टमी की तिथि को लेकर कंफ्यूज है तो हमारी खबर को अंत तक जरूर पढिएगा क्योंकि यहां हम आपको जन्माष्टमी से जुड़ी सभी जानकारी देने वाले है।
दो तिथियों का कारण क्या है ?
अगर जन्माष्टमी की तिथि की बात करें तो हर वर्ष जन्माष्टमी भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के वक्त हुआ था और कन्फ्यूजन होने का मुख्य कारण भी यह है कि इस साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 18 और 19 दोनों दिन पड़ रही है।
रोहिणी नक्षत्र के ना होने से बढ़ रही कन्फ्यूजन ?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में आने वाली अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और इस बार जन्माष्टमी की दोनों में से किसी भी तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा। जिससे लोगों के बीच जन्माष्टमी की सही तिथि को लेकर कन्फ्यूजन और अधिक बढ़ गई है।
पंचांग में क्या लिखा ?
आइए अब आपको बताते है कि आखिर पंचांग में क्या लिखा है, अगर पंचांग की माने तो अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त की रात 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा बनारसी पंचांग और मिथिला पंचांग में जन्माष्टमी की तिथि 19 तारीख की दी गई है।
कब मनाए जन्माष्टमी ?
अगर निष्कर्ष निकाला जाए तो जन्माष्टमी का व्रत 18 तारीख को ही होना चाहिए क्योंकि 19 तारीख को पड़ रही अष्टमी तिथि के समाप्न का समय रात के 10 बजकर 59 मिनट का है। जबकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में 12 बजे हुआ था। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 18 तारीख को रखा जाना उचित माना जा रहा है।
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