भारत देश अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है । ये विविधताएं उसकी संस्कृति उसके संस्कर उसका प्यार उसकी सभ्यता ही नही । बल्कि घोटालो में भी भारत के अंदर कई विविधताएं है । ये घोटाले 90 के दशक से चले आ रहे है कुछ घोटाले छोटे तो कुछ इतने व्यापक होते थे कि लोग जब उसके बारे मे सुनते थे बस हैरान हो जाते थे। आज हम एक ऐसे ही घोटाले की बात करेंगे। आप हर्षद मेहता को जानते ही होंगे कि उसने सबसे पहले स्टॉक मार्केट का घोटाला किया था कैसे उसने सरकार की कमियों का फायदा उठा के सरकार को लगभग 500 करोड़ का चूना लगा दिया था। आज हम बात करेगे अब्दुल करीम की जिसने स्टैम्प पेपर घोटाले को अंजाम दिया कैसे एक ठेले पे समान बेचने वाला इतना बड़ा घोटालेबाज़ बन गया । ये अब तक का सबसे बड़ा घोटाला था सरकारी रिपोर्ट की माने तो ये घोटाला लगभग 20 हज़ार करोड़ था। और ये घोटाला भारत में सबसे में टॉप पे है।पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल करीम तेलगी स्टैम्प पेपर घोटाले का मास्टरमाइंड था. अब्दुल करीम इतना शातिर था की उसने अपना काम भारत के 16 राज्यो में फैला रखा था। अब्दुल करीम को 2001 में अजमेर से गिरफ्तार किया गया। इस घोटाले में कोर्ट ने अब्दुल करीम को 30 साल की सजा सुनाई और साथ साथ उस पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। 26 अक्टूबर 2017 को उसकी मौत हो गई. मौत की वजह मल्टीपल ऑर्गन फेलियर बताई गई. उसे शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी.
कैसे एक फल बेचने वाले ने फर्ज़ीवाड़े से की करोड़ो की संपत्ति
सन 1961 में कर्नाटक के खानपुर में अब्दुल करीम का जन्म हुआ था. पिता पेशे से रेलवे में कर्मचारी थे, मगर इंतकाल बहुत जल्दी हो गया.छोटी सी उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी उस पर आ गई. तब अब्दुल ने स्टेशन पर ठेला लगाकर फल बेचेने लगा, सब्जी भी बेची. उसने किसी तरह इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. 90 के दशक में अरब जाने का ट्रेंड चल रहा था सो वो भी निकल गया. जब वो वह से वापिस आया तो पूरा बदल चुका था.अब उसके अंदर रुपये कमाने की भूख बढ़ गयी . सात साल बाद भारत लौटा तो पहुंचा तो सीधे उसने मायानगरी मुम्बई की तरफ अपना रुख कर दिया.
उसने सबसे पहले फर्जी पासपोर्ट का काम शुरू किया।और लोगों को फर्जी पासपोर्ट देने लगा धीरे उसने अपना ये धंधा बड़ा कर लिया .उसकी पहेली गिरफ्तारी साल 1991 में मुंबई पुलिस ने इसी पासपोर्ट फर्जीवाड़े मे हुई. मगर वो बोलते है ना किसी कैदी के लिए जेल क्राइम की यूनिवर्सिटी होती है ठीक वैसे ये जेल दौरा उसके लिए क्राइम की नई दुनिया साबित हुआ. एक साथी कैदी ने उसे बताया कि हर्षद मेहता शेयर घोटाले के बाद बाजार में स्टैंप की कमी हो गई है.
अब्दुल ने इसके बारे मे और जानकारी निकालनी शुरू कर दी धीरे धीरे उसको पता चला कि लोग पुराने शेयर ट्रांसफर सर्टिफिकेट से रेवेन्यू स्टांप निकाल रहे हैं और उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं. धीरे धीरे उसने इस घोटाले की पहेली नीव रखी। पहले उसने उस जगह का पता लगाया जहा सरकारी स्टैम्प बनते है और कैसे बनते है। जब वो ये पता लगा कि सरकार स्टैम्प बनाने वाली पुरानी मशीनों को कबाड़ में दे देती है और वहां से उसको नीलाम कर देती है। बस इसी का फायदा उठाते हुए अब्दुल ने वो मशीन खरीदना शुरू कर दिया। उन मशीनों से जुगाड़ कर के उसने नकली स्टैम्प बनाने शुरू कर दिया।इनसे स्टांप पेपर पर आसानी से सुरक्षा चिन्ह छप जाते थे. उसने पहले मुंबई मे ही इसका काम शुरू किया जब वो इस काम में परिपक्व हो गया तो अपने इस फर्जीवाड़े काम को देश के कोने कोने में फैला दिया और इस काम के लिए उसने बाकयदा 300 MBA स्टूडेंट को रखा था जो इसके काम को देखते थे और इनको बाकयदा वो सैलरी भी देता था। उसने कई सरकारी अफसरों को भी खरीद लिया था जो उसकी इस काम मे मदद करते थे।
गर्लफ्रेंड पर उड़ा देता था ‘करोड़ों’!
बताया जाता है कि अब्दुल एक रसिया इंसान था उसको लड़कियों और डांस बार मे जाने का भी शौक था उसके बारे एक बात फेमस हुई थी कि मुंबई की एक फेमस बार गर्ल तरन्नुम खान अब्दुल की गर्लफ्रेंड थी. अब्दुल ने तरन्नुम का डांस देखते हुए एक रात में 93 लाख रुपये उड़ा दिए थे.
1992 से 2002 के बीच अब्दुल पर अकेले महाराष्ट्र राज्य में 12 मामले रजिस्टर किए गए. 15 और मामले देश के अन्य राज्यों में दर्ज किए गए. मगर अपने रुपयों के दम पर सरकार, अधिकारियों और सिस्टम में ऐसी पैठ बना ली थी जिसे उसका धंधा इतनी आसानी से फल फूल रहा था.2001 में जाकर कहीं उसकी गिरफ्तारी हो सकी.जब पुलिस ने उसे पूछताछ शुरू की तब उसने अपनी जांच में कई पुलिस अधिकारी और नेताओं के नाम लिए थे. जांच में सबसे बड़ा खुलासा एक असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर दिलीप कामथ का नाम आया. जिसकी को सरकार सिर्फ़ 9000 रुपये सैलरी देती थी। जब क्राइम ब्रांच ने खुलासे के बाद दिलीप कामथ की जांच शुरू की तो उसके होश उड़ गए एक मामूली इंस्पेक्टर की प्रॉपर्टी करीब 100 करोड़ रुपये की पाई गई. इसी तरह एक क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर वशिष्ट अंदाले की संपत्ति 50 करोड़ की पाई गई थी. अंत मे अदालत ने उसे 30 साल का श्रम कारावास दिया और उसके साथियों को 6-6 साल की सज़ा दी।