नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में, ग्रह शांति हेतु एवं ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने में रत्न का बहुत महत्व है। सभी यह जानते हैं कि रत्न धारण करना चाहिए। रत्न धारण करने से लाभ अवश्य होता है, परंतु यह पता नहीं होता कि किसे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए। मनुष्य के जीवन में रत्नों का अपना महत्व है।
रत्न सिर्फ एक आभूषण के तौर पर नहीं पहने जाते बल्कि उनका अपना एक ज्योतिषीय प्रभाव भी होता है। अक्सर लोग भ्रमित होकर नाम राशि के आधार पर रत्न धारण कर लेते हैं लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है। व्यक्ति को जन्मकुंडली के पूर्ण विश्लेषण और कुंडली के आधार पर राशि के अनुसार ही रत्न धारण करना चाहिए।
जातक को कभी भी नीच या अशुभ ग्रह का रत्न धारण नहीं करना चाहिए। यदि आपका शुभ ग्रह अस्त है या कमजोर हो गया है तो उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए रत्न धारण करना चाहिए।
आपको बता दें, ज्योतिष शास्त्र में 84 रत्न और उपरत्नों का उल्लेख मिलता है, जिनमें से केवल नौ रत्नों को ही नवरत्नों की संज्ञा दी गई है। बाकी सभी उपरत्न कहलाते हैं। इन नवरत्नों में से प्रमुख रत्न है माणिक्य। आइए जानते हैं माणिक्य रत्न के बारे में। माणिक्य रत्न सूर्य ग्रह का रत्न है। सूर्य ग्रहों के राज्य माने जाते हैं। यदि आपकी कुंडली में सूर्य निर्बल अवस्था में है तो माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
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