नई दिल्ली: शास्त्रों का लक्ष्य मानव मात्र को प्रगति एवं उन्नति की राह पर अग्रसर कराना है एवं सुरक्षा देना है। वास्तु सिद्धांत के अनुरूप निर्मित भवन एवं उसमे वास्तुसम्मत दिशाओं मे सही स्थानों पर रखी गई वस्तुओं के फलस्वरूप उसमे रहने वाले लोगो का जीवन शांतिपूर्ण और सुखमय होता है। इसलिए उचित यह है कि भवन का निर्माण किसी वास्तुविद से परामर्श लेकर वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप ही करना चाहिए। इस तरह, मनुष्य के जीवन मे वास्तु का महत्व अहम होता है। इसके अनुरूप भवन निर्माण से उसमे सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। फलस्वरूप उसमे रहने वालों का जीवन सुखमय होता है। वहीं, परिवार के सदस्यों को उनके हर कार्य मे सफलता मिलती है।
वास्तु शास्त्र आज आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कुछ ऐसी ही बातों के बारे में जिससे आप आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। घर की दक्षिण दिशा में एक्वेरिम या पानी से संबंधित कोई मूर्ति या शो पीस नहीं रखना चाहिए। इससे आमदनी कम और खर्चे अधिक होते हैं।
घर और दुकान की उत्तर-पूर्व दिशा को कभी गंदा नहीं करना चाहिए। वहां पर साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। उत्तर- पूर्व दिशा के गंदे रहने से घर में पैसों की आवाजाही कम हो जाती है। इसके अलावा घर की दीवारों या फर्श पर पेंसिल, चॉक या कोयले से लकीरें नहीं बनानी चाहिए यानी दीवारों को गंदा नहीं करना चाहिए। इससे उधारी बढ़ती जाती है।