नई दिल्ली: वास्तु का शाब्दिक अर्थ निवासस्थान होता है। इसके सिद्धांत वातावरण में जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों का हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है। यह विद्या भारत की प्राचीनतम विद्याओं में से एक है जिसका संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है। इसके अंतर्गत दिशाओं को आधार बनाकर आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को कुछ इस तरह सकारात्मक किया जाता है, ताकि वह मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव ना डाल सकें।
अग्नि से संबंधित सभी चीज़ें हमें इसी दिशा में रखनी चाहिए। हमारा शरीर जल, वायु, आकाश, धरती और अग्नि से मिलकर बना है। इनमें से एक अग्नि भी है। कहते हैं अग्नि इन पांचों तत्वों में से सबसे कम मात्रा में पाई जाती है। लेकिन अग्नि हमारे पाचन तंत्र से जुड़ी हुई है। सूर्य भी अग्नि है और इसी अग्नि से यह पूरा संसार रोशन होता है। अग्नि से जुड़ी इतनी सारी बातें हमने इसीलिए बताई क्योंकि अग्नि का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है। हमें कभी भी अग्नि का अपमान नहीं करना चाहिए। अग्नि को देवताओं का स्थान दिया गया है।
कई बार हम दीये, मोमबत्ती या माचिस की तिल्ली को फूंक मारकर बुझाते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। कभी भी इस तरह से अग्नि को नहीं बुझाना चाहिए और पैरों के नीचे मसलकर तो माचिस की तिल्ली को कभी भी नहीं बुझाना चाहिए। आप दूर से हाथ मारकर भी उसे बुझा सकते हैं।