केंद्र सरकार ने गुरुवार (25 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने स्नातकोत्तर मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए NEET प्रवेश में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी के लिए निर्धारित वार्षिक आय 8 लाख रुपये की सीमा पर फिर से विचार करने का फैसला लिया है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की बेंच से चार सप्ताह का समय मांगा और कहा है कि ईडब्ल्यूएस के मानदंड निर्धारित करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
मेहता ने बेंच को बताया है कि एनईईटी पीजी काउंसलिंग को निर्धारण तक स्थगित रखा जाएगा। सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग श्रेणी के मानदंड पर फिर से विचार करेगी।
सॉलिसिटर जनरल ने बेंच को बताया कि हम एक कमेटी बनाएंगे और चार हफ्ते के अंदर नया फैसला लेंगे। तब तक काउंसलिंग रुकी रहेगी। मैं आश्वासन देता हूं,”
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खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल के प्रस्तुतीकरण को दर्ज किया और मामले को 6 जनवरी, 2022 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वह एनईईटी पीजी के लिए काउंसलिंग को अखिल भारतीय कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण शुरू करने के केंद्र के फैसले की वैधता का फैसला आने तक टाल दिया है।।
उन्होनें कहा था कि नीट-पीजी काउंसलिंग उसकी मंजूरी के बिना शुरू नहीं होगी क्योंकि अदालत मेडिकल प्रवेश के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया है कि जब तक पीठ इस मामले का फैसला नहीं कर लेती तब तक काउंसलिंग प्रक्रिया रुकी रहेगी।
चिकित्सा परामर्श समिति और केंद्र के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी, जिसमें ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और सभी मेडिकल सीटों के लिए एनईईटी में प्रवेश के लिए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।