यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, इसी को देखते हुए अब राजनीतिक दलों ने अपनी रफ्तार को तेज कर लिया है। पार्टियों में चुनाव प्रचार के साथ-साथ अब उम्मीदवारों को लेकर भी चर्चाएं गर्म होने लगी है।
जहां कुछ दलों ने अपने उम्मीवारों को लगभग तय कर लिया है, वहीं कुछ दल अभी काट-छांट में लगे हुए है, लेकिन इसी के बीच चुनाव आयोग ने इस साल के चुनाव में ऐसा आदेश जारी कर दिया है, जिससे कई दलों के पसीने छूटते नजर आ सकते है। चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद अब राजनीतिक दलों के लिए टिकट बांटना टेढ़ी खीर के समान होगा।
क्या है चुनाव आयोग का आदेश
2022 में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यह निर्देश जारी किया। चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया कि राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 48 घंटों के भीतर अपनी वेबसाइट के जरिये यह सार्वजनिक करना होगा कि घोषित उम्मीदवार की पृष्ठभूमि आपराधिक है या फिर नहीं।
इस दौरान अगर उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि का पाया जाता है, तो दल को यह स्पष्ट करना होगा कि उम्मीदवार पर कितने और किस-किस प्रकार के आरोपों के अंतर्गत मामले चल रहे है।
इतना ही नहीं पार्टी को यह भी स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार का ही क्यों चयन किया, क्या पार्टी को कोई साफ सुथरी छवि का ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला, जिस पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज ना हो और क्यों साफ सुथरी छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं बनाया गया ?
प्रचार और विज्ञापनों पर रहेगी चुनाव आयोग की नजर
यह जानकारी बीते मंगलवार को प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल के द्वारा सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को एक बैठक में दी गई। इस दौरान अजय कुमार शुक्ल ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को जानकारी देते हुए बताया कि पेड न्यूज के अलावा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया में चुनाव संबंधी सामग्री प्रकाशित व प्रसारित किए जाने पर इसकी मानीटरिंग के लिए यूपी में राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय मीडिया मानीटरिंग कमेटियां गठित कर दी गई हैं।
यह कमेटियां पेड न्यूज, फेक न्यूज और ऐसी सामग्री जिससे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होता हो इनके प्रकाशन व प्रसारण पर कड़ी नजर रखेगी।