IMF की पहली महिला चीफ इकोनॉमिस्ट से लेकर IMF की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनने तक गीता गोपीनाथ ने अपने नाम कई बड़े रिकॉर्ड किए हैं। गीता गोपीनाथ दिग्गज अर्थशास्त्रियों में से एक हैं।
8 दिसंबर 1971 को कोलकाता में जन्मी गीता को हमेशा से खेल में बहुत रूचि थी। लेकिन उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से डिग्री पूरी करने के बाद इकोनॉमिक्स को ही अपने करियर के तौर पर आगे बढ़ाने को चुना। जिस समय पूरी दुनिया कोरोना के कारण लॉकडाउन से गुजर रही थी, तब उन्होंने विश्व को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
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सातवीं क्लास तक तो गीता के केवल 45 परसेंट ही मार्कस आते थे, लेकिन उसके बाद उन्होंने खूब मेहनत की और अपने हाथों से अपनी कामयाबी की कहानी लिखने लगीं। गीता गोपीनाथ साल 2001 से 2005 तक शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं, जिसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम करना शुरु किया। 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं। ऐसा करने वाली वह दूसरी भारतीय थीं। उन्हें अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी शोध के लिए भी जाना जाता है।
एक बार गीता ने अपने कदम कामयाबी की तरफ बढ़ाए, उन्होंने कभी अपने कदम रुकने नहीं दिए उन्होंने एक के बाद एक कई बड़े काम किए। उन्होंने भारत का नाम तो रौशन किया ही, साथ ही उन्होंने देश की हर महिला को अपने सारे सपने सच करने की उम्मीद दी है।
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