महान एथलीट पीटी उषा ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। पीटी उषा 95 साल के इतिहास में Indian Olympic Association (IOA) की पहली महिला अध्यक्ष बनने वाली हैं। पय्योली एक्सप्रेस नाम से पहचाने जाने वाली पीटी उषा ओलंपिक समिति की अध्यक्ष बनने वाली पहली ओलंपियन और अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता भी होंगी।
उन्होंने अपने नाम कई बड़े रिकॉर्ड किए हैं। उन्होंने एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में भी आगे आकर भारत की शान में चार चांद लगाएं हैं। पीटी उषा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मिलाकर कुल 102 पदक अपने नाम किए हैं। इन 102 में से 46 गोल्ड मेडल हैं, और इन गोल्ड मेडल में से 13 अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल शामिल हैं।
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वह उन महिलाओं के लिए एक ट्रेंड-सेटर बन गईं, जिन्होंने खेलों की दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बनाई। जब भी वह देश का प्रतिनिधित्व करने देश के बाहर जाती थीं, तब केवल भारत के ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर के लोग भी इनको बहुत प्यार देते थे।
उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में एक बार बताया था कि, “स्कूल के दिनों में मै सोचती थी, कि ‘ओलंपिक क्या हैं?’ लेकिन ये कभी नहीं सोचा था कि मुझे ओलंपिक में खेलने का मौका मिलेगा।”, पीटी उषा अपने एक में कहा।
लेकिन 8 अगस्त, 1984, खेल के इतिहास का वो दिन था, जिसने पूरे देश की आंखें नम कर दी थी। इस दिन, भारत की ट्रेक एंड फील्ड की क्वीन कही जाने वाली पीटी उषा एक सेकंड से भी कम समय से 1984 लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में मेडल हासिल करने से चूक गईं थीं। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बल्कि इस हार को उन्होंने अपने आगे आने वाली कई जीत की सीढ़ी बना ली और अपने खेल से दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बना ली।
आज पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित उषा, केरल में ‘उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स’ नाम से एक अकादमी चलाती हैं, जहां वह भारतीय एथलीटों की अगली पीढ़ी को इस उम्मीद के साथ ट्रेन करती हैं, कि वह भारत के लिए एक दिन ओलंपिक पदक जीतकर लाएंगे।
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