नई दिल्ली: यूरोपियन यूनियन ने फैसला लिया है कि वह स्मार्टफोन के लिए USB-C टाइप केबल को स्टैंडर्ड बनाएगी और एक यूनिवर्सल चार्जर का नियम लागू करेगी। इसका सीधा फायदा उन लोगों को होगा जो अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल रखते हैं और मोबाइल चार्ज करने के लिए जितने मोबाइल उतने ही चार्जर रखने पड़ते हैं।
EU के इस फैसले के बाद अब अलग-अलग ब्रांड के फोन के लिए कई तरह के चार्जर रखने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। आने वाले कुछ महीनों में EU के देशों में एक ही चार्जर से सारे फोन चार्ज होने की संभावना है। हालांकि ये इतना आसान नहीं होगा। भारत में इस तरह की सुविधा मिलने में कुछ साल लग सकते हैं।
EU का कहना है कि एक ही चार्जर होने से इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कमी आएगी, लेकिन इस फैसले से एपल कंपनी खुश नहीं है। इससे यूरोपियन यूनियन और एप्पल के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। एपल का मानना है कि अगर ऐसा किया जाता है तो इससे इनोवेशन रुक जाएगा और प्रदूषण बढ़ेगा।
1. USB टाइप-A
इसका आकार रेक्टेंगुलर होता है। यह USB माउस, पेनड्राइव, चार्जिंग केबल के शुरुआती छोर में इस्तेमाल होती है। साथ ही हार्डड्राइव में जो कनेक्टर देखने को मिलता है उसमें भी USB टाइप-A का ही इस्तेमाल होता है।
2. USB टाइप-B
इस कनेक्टर का शेप चौकोर होता है जिसे प्रिंटर, मॉडेम, स्कैनर और कुछ स्पेसिफिक एक्सेसरीज में इस्तेमाल किया जाता है।
3. USB टाइप-C
आने वाले समय में लगभग सभी डिवाइस में आपको यह कनेक्टर देखने को मिलेगा, जिसकी मदद से आप अपने मोबाइल चार्जिंग के साथ डेटा को भी ट्रांसफर कर पाएंगे और बहुत सारे एक्सटर्नल पेरीफेरल्स को भी इस्तेमाल कर पाएंगे। यह कनेक्टर साइज में बहुत छोटा होता है और रिवर्सिबल होता है, मतलब इसे आप दोनों तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं फिर चाहे आपको इसे उल्टा इस्तेमाल करना हो या सीधा।
4. लाइटनिंग केबल
इसे सिर्फ एपल इस्तेमाल करता है। एपल 2012 से अपने मोबाइल डिवाइस में लाइटनिंग केबल का इस्तेमाल कर रहा है। USB-C की तरह ही इसमें भी चार्जिंग रिवर्सिबल होती है।
5. माइक्रो USB
इसे 2007 में डिजाइन किया गया था। माइक्रो USB 2 तरह की होती है माइक्रो-A और माइक्रो-B। ये केबल अक्सर कंप्यूटर में वीडियो गेम और फोन चार्जिंग जैसे कामों में ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
6. मिनी USB
यह कनेक्टर मोबाइल और कैमरा में इस्तेमाल होता है। यह आकार में छोटा होता था, लेकिन माइक्रो USB आने के बाद इसका स्मार्टफोन में इस्तेमाल बंद हो गया। लेकिन अभी भी कुछ फीचर फोन और कैमरा में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।