आज के दौर में जहां सोशल मीडिया आम इंसान की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है, वहीं दूसरी तरफ यही सोशल मीडिया राजनेताओं के लिए जंग के मैदान से कम नहीं है। वैसे तो सोशल मीडिया की जंग सोशल मीडिया पर ही खत्म हो जाती है, लेकिन कई बार यही वाद-विवाद कोर्ट-कचहरी का रूप ले लेता है। ऐसी ही एक तीखी बहस कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के बीच शुक्रवार को ट्विटर पर देखने को मिली।
दरअसल, मनीष तिवारी ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि तहलका पत्रिका के संस्थापक एवं संपादक तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के मामले में ‘सम्मानजनक तरीके से बरी’ कर दिया गया। उनकी इस टिपण्णी को ‘शर्मनाक’ करार देते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने भी एक ट्वीट कर दिया। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर वाद-विवाद का यह सिलसिला शुरू हो गया। बता दें कि, प्रियंका चतुर्वेदी की ओर से उनके ट्वीट पर आपत्ति जताने के बाद मनीष तिवारी प्रियंका पर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने शिवसेना सांसद के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने तक की धमकी दे दी।
दरअसल हुआ कुछ ऐसा था कि मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में तेजपाल की तारीफ करते हुए कहा था कि, “कॉलेज में मेरे सीनियर रहे, जिनकी छवि को धूमिल किया गया, राजनीतिक उत्पीड़न किया गया और जिन्हें अब सम्मानजनक तरीके से बरी कर दिया, उन प्रतिभावान और बुद्धिमान तरुण तेजपाल ने अपनी नई किताब ‘एनिमल फार्म’ की शुरुआती जानकारी लिख ली है। वापसी पर स्वागत दोस्त। जरूर पढ़ें।”
जिसके बाद इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि, ”आज मुझे पता चला कि तरुण तेजपाल को ‘सम्मानजनक तरीके से बरी किया गया’ और उनका ‘राजनीतिक उत्पीड़न’ किया गया।”
इसी बीच मनीष तिवारी पर तंज कसते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि किसी महिला के यौन उत्पीड़न की बात को खारिज करके उनकी बीमार सोच का पता चलता है। उन्होंने कहा, ‘उन्हें लगता है कि वे महिलाओं को लेकर अपनी मर्जी से बर्ताव कर सकते हैं और गंभीर अपराधों पर हंस सकते हैं। शर्मनाक।’
इसके बाद मनीष तिवारी भी प्रियंका चतुर्वेदी पर हमलावर हो गए और पलटवार करते हुए मनीष तिवारी ने उनके ट्वीट के जवाब में कहा कि उनके उलट वकील के रूप में वह जानते हैं कि किसी फैसले को कैसे पढ़ा जाता है और किस तरह उसका सम्मान किया जाता है।
मनीष तिवारी ने आगे कहा कि, “आपसे अलग, प्रियंका चतुर्वेदी, मैं एक वकील हूं और मुझे फ़ैसले पढ़ना और उनकी इज्ज़त करना आता है। तरुण तेजपाल पर मामला चला और वो निर्दोष साबित हुए, और ये सच है। गोवा की सरकार हाईकोर्ट में गई है, अगर आपको कोई दिक्कत है तो आप मुंबई हाई कोर्ट और गोवा में कहें।”इसके बाद मनीष तिवारी के जवाब में प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि गोवा सरकार ने जिला अदालत के इस फैसले को चुनौती दी है और इसलिए उन्हें बरी किए जाने पर ‘जश्न’ को रोका जा सकता है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने तंज कसते हुए आगे कहा, ‘मनीष तिवारी आपके केवल वकील होने और फैसला पढ़ पाने से आप ऊंचे पायदान पर नहीं पहुंच जाते। यह एक स्वतंत्र प्लेटफॉर्म है और मुझे भी अपनी बात रखने का हक है जैसा आपको किसी कथित बलात्कारी की पीठ थपथपाने का हक है। मुझे भी अपनी राय रखने का अधिकार है।’ इसके बाद तो मानों मनीष तिवारी आग बबूला हो उठे और उन्होंने प्रियंका चतुर्वेदी को सीधे मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दे दी।
मनीष तिवारी ने कहा कि, “ऐसा ही है प्रियंका चतुर्वेदी। ये मुझे नियम, कानूनों और संविधान के तहत कोर्ट के दिए आदेश को सही से समझने और इज़्जत करने लायक बनाता है। आपसे गुज़ारिश है कि मानहानि की सीमा को पार न करें। मुझे एक साथी सांसद और पूर्व सहयोगी को कोर्ट ले जाने पर दुख होगा।”
इसके बाद प्रियंका चतुर्वेदी ने मनीष तिवारी के ट्वीट को उन्हें ‘चुप’ कराने की धमकी और इस ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि, वकील के रूप में उन्हें (मनीष तिवारी) को यह जान लेना चाहिए कि उनके (प्रियंका चतुर्वेदी) पहले ट्वीट में उन्हें टैग तक नहीं किया गया और वह इसमें ‘टपक गए’। अपने इस ट्वीट में भी वह मनीष तिवारी पर तंज कसती नजर आई और उन्होंने कहा कि अज्ञानता, नैतिकता की अज्ञानता से बेहतर है।
बताते चलें कि ट्वीटर पर इस बहस का हिस्सा रहे तरुण तेजपाल पर 7 नवंबर, 2013 में गोवा के ही एक होटल की लिफ्ट के भीतर एक पूर्व महिला सहकर्मी के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद गोवा की एक सत्र अदालत द्वारा बीती 21 मई को उन्हें बरी कर दिया गया था।