नई दिल्ली: भारत में पबजी के बैन हो जाने के बाद में इस का ही नया गेम ‘बैटलग्राउंड्स इंडिया’ देश में लॉन्च हो चुका है। हालांकि, अब भी कई यूजर्स पुराने पबजी को APK फाइल की मदद से डाउनलोड करके खेलते रहते हैं।
वहीं अब इस गेम से जुड़ी निगेटिव खबर आ रही है। मुंबई के 16 साल के एक लड़के ने इस गेम में 10 लाख रुपए डुबो दिए। ट्रांजैक्शन मां के अकाउंट से हुआ था। माता-पिता ने जब इस मामले को लेकर उसकी डांट लगाई तब उसने घर छोड़ दिया।
आपको बता दें, ये ऐसा पहला मामला नहीं है जब ऑनलाइन गेम की वजह से बच्चों ने माता-पिता के हजारों या लाखों रुपए खर्च कर दिए हों। बीते महीने छतरपुर, मध्य प्रदेश के रहने वाले 13 साल के कृष्णा पाण्डेय ने गरेना फ्री फायर (Garena Free Fire) नाम के ऑनलाइन गेम खेलने में 40 हजार रुपए गंवा दिए। जून में फ्री फायर को अपग्रेड करने के चक्कर में छत्तीसगढ़ के बच्चे ने 3.22 लाख रुपए के हथियार खरीद लिए। वहीं, यूपी के 3 बच्चों ने गेम खेलते-खेलते करीब 11 लाख रुपए से ज्यादा के हथियार खरीद डाले। कुछ महीनों से लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
बच्चों द्वारा जिन गेम्स की वजह से पैरेंट्स के अकाउंट से पैसे निकले हैं, उनमें ज्यादातर फाइटिंग गेम्स शामिल हैं। बच्चों को पहले इन गेम्स की लत लगती है। फिर अच्छे हथियार के लालच और पॉइंट्स अर्न करने के लिए बच्चे इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि पैरेंट्स के अकाउंट से कितने पैसे खर्च होंगे।
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दो एक्सपर्ट रितु माहेश्वरी (साइबर सिक्योरिटी और क्लाउड कम्प्यूटिंग) और मनीष खत्री (टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट) ने गेम्स के दौरान होने वाले ट्रांजैक्शन से लेकर इससे बचने के तरीके बताए है।
रितु महेश्वरी ने बताया कि जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं तब वो हमारे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की डिटेल सेव कर लेता है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन की-लॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे डेटा की सिक्योरिटी भी कम हो जाती है। इससे गेमिंग ऐप ही नहीं बल्कि दूसरे ऐप्स से भी अकाउंट से पैसे निकलने का खतरा हो जाता है। कई ऐप्स में ट्रोजन या दूसरे मैलवेयर भी होते हैं। ये फोन में इन्स्टॉल होकर आपके डेटा को चुराते हैं।
वहीं मनीष खत्री ने कहा कि यदि यूजर ने कभी भी गूगल प्ले स्टोर से कोई कोई ऐप खरीदा है, तब पेमेंट किए गए क्रेडिट या डेबिट कार्ड का डेटा उसमें सेव हो जाता है। ऐसे में जब भी हम अगली बार कोई ऐप गूगल प्ले स्टोर से खरीदते हैं तो वो ऑटोमैटिक आपके कार्ड पेमेंट मोड पर आ जाता है। ऐसे में बच्चे को आपके कार्ड का CVV पता है तो वे आसानी से ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। आपने दूसरा पेमेंट प्लेटफॉर्म जोड़ा है और बच्चे उसका पिन जानते हैं, तब वहां से भी ट्रांजैक्शन हो सकता है।
दोनों एक्सपर्ट्स ने इस बात की सलाह दी है कि बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखा जाए, क्योंकि बच्चों से ट्रांजैक्शन के ज्यादातर मामले गेम्स के दौरान ही होते हैं। ज्यादा बेहतर है कि बच्चों को ऑफलाइन गेम्स खेलने दिए जाएं या फिर फोन का इंटरनेट डेटा बंद रखा जाए या पासर्वड प्रोटेक्टेड किया जाए।
पैरेंट्स को अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय कर देनी चाहिए। खासकर इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के लिए लिमिट को 500 से 1000 रुपए तक कर देना चाहिए। ताकि बच्चे गलती से भी बड़ा अमाउंट किसी इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन पर खर्च नहीं कर पाएं। आपको जब भी जरूरत हो लिमिट अपने हिसाब से बढ़ा लें।