पंजाब में कांग्रेस की अंतर्कलह की खबरे अक्सर देखने को और सुनने को मिल जाती है, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा आर पार की लड़ाई के लिए तैयार देखे जाते है।
ऐसे में पंजाब में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके कट्टर विरोधी रहे नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शुक्रवार को चंडीगढ़ में मुलाकात हुई।
इसके बाद सिद्धू ने अपने ट्विटर से इस मुलाकात को लेकर फोटो साझा करते हुए लिखा कि “पंजाब कांग्रेस भवन में मंत्रियों के रोस्टर के प्रस्ताव पर अत्यधिक सकारात्मक समन्वय बैठक हुई।”
मुख्यमंत्री के प्रवक्ता द्वारा इस मुलाकात के विषय में बताया गया कि, “सत्तारूढ़ दल और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने और सरकारी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और सुधार की पहल में तेजी लाने को लेकर, मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू ने शुक्रवार को 10 सदस्यीय ‘रणनीतिक नीति समूह’ स्थापित करने पर अपनी सहमति व्यक्त की।”
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले इस समूह में लोकल गवर्मेट मिनिस्टर ब्रह्म मोहिंद्रा, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और सामाजिक सुरक्षा मंत्री अरुणा चौधरी, सिद्धू और पार्टी के चार कार्यकारी अध्यक्ष- कुलजीत सिंह नागरा, सुखविंदर सिंह डैनी, संगत सिंह गिलजियान और पवन गोयल और परगट सिंह भी शामिल होंगे।
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उन्होंने मीटिंग की जानकारी देते हुए आगे बताया कि यह फैसला तब लिया गया जब सिद्धू नागरा और परगट के साथ मुख्यमंत्री से पंजाब से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा और पार्टी-सरकार समन्वय को मजबूत करने के कदमों पर चर्चा के लिए पहुंचे थे।
उन्होंने आगे बताया कि समूह आवश्यकतानुसार अन्य मंत्रियों, विशेषज्ञों आदि के परामर्श से साप्ताहिक बैठकें करेगा और पहले से ही कार्यान्वयन के तहत राज्य सरकार की विभिन्न पहलों की प्रगति को लेकर चर्चा और समीक्षा करेगा।
बता दें कि अक्सर पंजाब के मुख्यमंत्री और सिद्धू के बीच वाद-विवाद देखने को मिलता रहता है। कभी सिद्धू सीएम पर पीएम मोदी और शाह का एजेंडा लागू करने के आरोप लगाते दिखते है, तो कभी एक साथ मंच पर होते हुए भी मुख्यमंत्री को नजरअंदाज करते नजर आते है। कई बार तो सिद्धू अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर उन्हें आड़े हाथ लेते नजर आए है। मुख्यमंत्री भी कई बार यह कहते नजर आए है कि ‘जो सिद्धू कर रहे हैं वो राज्य सरकार के लिए अच्छा नहीं’।
ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि यह मीटिंग आगामी पंजाब विधानसभा में कितनी कारगर साबित होती है और सिद्धू और मुख्यमंत्री के बीच कितने दिन यह सहमति का माहौल देखने को मिलता है।