देश को आजाद करवाने के लिए कई लोगों की अहम भूमिका रही है। इनमें से कितने लोग ऐसे हैं, जिन्होंने देश के लिए मर मिटने तक की हिम्मत रखी, लेकिन इनका नाम किसी किताब में दर्ज नहीं है। आइए जानें उनके बारे में
गुलाब कौर
गुलाब कौर पंजाब की वो जांबाज बेटी थी, जिसने भारत की आजादी के लिए अपने पति तक छोड़ दिया था।
दुर्गावती देवी
दुर्गावती देवी को दुर्गा भाभी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा भाभी भले ही भगत सिंह, सुख देव और राजगुरू की तरह फांसी पर न चढ़ी हों लेकिन उनके साथ कंधें से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ती रहीं। स्वतंत्रता सेनानियों के हर आक्रमक योजना का हिस्सा बनी।
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चंद्रप्रभा सैकियानी
चंद्रप्रभा सैकियानी ने न केवल लड़कियों की शिक्षा के लिए काम किया बल्कि उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने और स्वतंत्रता आंदोलन को उन तक पहुंचाने के लिए पूरे राज्यभर में साइकल से यात्रा की और वो ऐसा करने वालीं राज्य की पहली महिला मानी जाती हैं।
अक्कम्मा चेरियन
अक्कम्मा चेरियन भारत के पूर्ववर्ती त्रावणकोर (केरल) से एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थी। वे त्रावणकोर की “रानी लक्ष्मीबाई” के रूप में जानी जाती है।
सुधा महादेव जोशी
सुधा महादेव जोशी भी एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने देश की आज़ादी में एक अहम योगदान दिया था।
उषा मेहता
उषा मेहता ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और स्वतंत्रता के बाद वह गांधीवादी दर्शन के अनुरूप महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत रही। वह भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुईं।
बसंती देवी
बसंती देवी भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थी। वह अन्य कार्यकर्ता चित्तरंजन दास की पत्नी थीं। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्य जारी रखा।
रामदेवी चौधरी
रामदेवी चौधरी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थीं। उड़ीसा के लोग उन्हें माँ कहते थे। वो अपने पति एक साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुई थीं।
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