नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा चर्चा का विषय बनी हुई है। नंदी की मूर्ति को शेयर करते हुए लोगों ने दावा किया है कि यह मूर्ति सैकड़ों साल पुरानी है और इसका सावन महीने में निकल आना भगवान शिव का चमत्कार है।
दरअसल, आज से करीब 2 साल पहले जुलाई के माह में कर्नाटक के मैसूर से लगभग 20 किलोमीटर दूर अरसिनकेरे में एक सूखी झील में से सैकड़ों साल पुरानी नंदी बैल की प्रतिमा निकाली गई थी, सैकड़ों साल पुरानी इन प्रतिमाओं को झील से निकालने का काम स्थानीय लोगों ने ही किया था।
भगवान शिव की सवारी माने जाने वाले नंदी बैल की दो प्रतिमाएं एक झील में खुदाई के दौरान निकल आई। लोग इसे भोलेनाथ का चमत्कार मान रहे थे।
मैसूर से करीब 20 किलोमीटर दूर अरसिनकेरे गांव में कुछ बुजुर्ग झील में नदीं की मूर्ति होने की बात किया करते थे। उनका कहना था कि जब झील में पानी कम होता है तो नंदी का सिर नजर आता है, बुजुर्गों की इन्हीं बातों की सच्चाई जानने के लिए स्थानीय लोगों ने मन बनाया और इस बार जब झील में पानी सूख गया तो खुदाई शुरू कर दी।
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खबरों के मुताबिक, नंदी की प्रतिमा ढूंढने के लिए गांव वालों ने तीन से चार दिन तक लगातार झील में खुदाई की। इसमें जेसीबी मशीन की मदद भी ली गई। वहीं, लगभग चार दिन की खुदाई के बाद नंदी बैल की दो प्रतिमाएं निकल आईं।
मौके पर पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी जांच करने पहुंच गए। भगवान शिव की सवारी माने जाने वाले नंदी बैल की प्राचीन प्रतिमाओं को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये 16वीं और 17वीं शताब्दी की हैं। वहीं सावन के महीने में लोग इसे भगवान शिव का चमत्कार मान रहे हैं।