मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक छोटे से गांव में जन्में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता थे, जो विपक्ष में बैठते थे लेकिन उनका कोई विरोधी नहीं था। उनका ओजस्वी, तेजस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व सभी का मार्गदर्शन करता था।
सम्मानजनक व्यक्तित्व और भारत के महानतम राजनेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक और हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि थे। वाजपेयी जी ने प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज से प्राप्त की थी।
अटल जी को राजनीतिक समझ के साथ-साथ अपने भाषण देने के अंदाज और कविताओं के लिए जाना जाता था। उनको कविताओं का गुण उनके पिता से विरासत में मिला था। वे कविता के जरिए हर बात को बेबाकी से कह दिया करते थे। वो अपने विचारों को कविताओं के माध्यम से अक्सर सामने रखते थे। कुशल वक्ता अटल जी के शब्दों की गुंज देश के साथ-साथ विदेश में आज भी काबिल-ए-गौर है। अटल जी की वाणी, उनका जीवन दर्शन सभी भारतवासियों को हमेशा प्रेरणा देता है। वो ऐसा भारत चाहते थे जो भूख, डर, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।
उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी दिलचस्पी दिखाई और अनेक पुस्तकों की रचना की थी। वे मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक थे। इसके अलावा वो दैनिक समाचार पत्र “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक थे।
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अटल बिहारी वाजपेयी अनेकता में एकता के प्रतीक थे। हिन्दी भाषा को विश्वस्तर पर मान दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है। सन् 1977 में जनता सरकार के दौरान विदेश मंत्री रहे अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दिया था, जिसके बाद UN के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर वाजपेयी जी के लिए तालियां बजाई थीं। ऐसा करने वाले वे देश के पहले नेता थे। इसके बाद कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्होंने हिन्दी भाषा में संबोधन किया था।
भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जीवनपर्यंत राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने शादी नहीं की थी लेकिन एक लड़की को गोद लिया और उसका नाम नमिता रखा। अटल जी को सम्मान के रूप में ‘भीष्म पितामह’ की उपाधी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान दी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे दिग्गज नेता थे जिन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था। यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने एक बार भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में भारत का नेतृत्व करेंगे।
उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हुई। बतौर नेता अटल जी ने भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभाला था। इसके साथ ही अटल जी 47 साल तक संसद के सदस्य रहे थे, वो 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए थे।
अटल जी ने भारत के इतिहास में एक कवि, राजनीतिज्ञ और दूरदर्शी के रूप में अपनी छाप छोड़ी है। भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 16 अगस्त 2018 को पंचतत्व में विलीन हो गए थे। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर किया गया था और सम्मान स्वरूप उनके निधन के बाद देश में सात दिनों तक राष्ट्रीय शोक रखा गया था, इस दौरान उनके सम्मान में तिरंगा आधा झुका रहा था। अटल जी के निधन को 3 साल हो गए हैं, लेकिन हर भारतीय के दिल में उनकी मौजूदगी हमेशा रहेगी।