भारत की बेटी कल्पना चावला का नाम आज बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर है। उनकी कहानी ने कई लोगों को कुछ नया करने की हिम्मत दी है। एक हौसला दिया है। कल्पना चावला की कहानी ने कई लोगों को प्रेरित किया है। भले ही 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्पना की उड़ान रुक गई, लेकिन आज भी वह दुनिया के लिए एक मिसाल हैं। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। कल्पना चावला जब पहली बार अंतरिक्ष पर पहुंची तब हर देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
एक 26 वर्षीय हिजाबी लड़की ने हाल ही में एक कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया है। महाराष्ट्र की रहने वाली यह लड़की पूरे देश के लिए एख मिसाल बन रही है। मोहदेसा जाफरी हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से लौटी थी, जहां उन्होंने प्रशिक्षण लिया था। इनके माता-पिता का नाम मौलाना शेर मोहम्मद जाफरी और अलीमा फराह जाफरी है।
मोहदेसा जाफरी, कल्पना चावला को अपना प्रशंसक मानती हैं। फरवरी 2003 में जब अंतरिक्ष शटल कोलंबिया आपदा में कल्पना चावला की मृत्यु हुई तब
मोहदेसा जाफरी सात साल की थीं। चावला के निधन के बाद देश में कई जगहों पर पोस्टर और बैनर देखे गए। जाफरी जब अपने पिता के साथ घर से बाहर गई तो उन्होंने पोस्टर देखे और उनसे अंतरिक्ष यात्री के बारे में पूछा।
उनके पिता ने कल्पना चावला की कहानी सुनाई और बताया कि वह कितनी बहादुर थी। अंतरिक्ष यात्री की कहानी सुनने के बाद, ये भी उनकी प्रशंसक बन गई। उसके बाद से ही जाफरी का सपना हो गया कि वह विमानन उद्योग में शामिल हों।
Advertisement
पिता शेर मोहम्मद ने बताया कि, “वे कल्पना चावला के बड़े प्रशंसक हैं। आज 26 साल की मोहद्देसा जो लंबी और पतली दिखती है तब वो मुश्किल से सात साल की रही होगी। जब फरवरी, 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष आपदा में भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की मृत्यु हो गई थी। उस वक्त मोहद्दसा मेरे साथ सड़क पर थी और हर जगह पोस्टर पर कल्पना चावला की तस्वीर नजर आ रही थी। तब मैने उन्हें समझाया कि कैसे एक बहादुर अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में गई थी, जहां उनकी मृत्यु हो गई।”
साल 2020 में, वह दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में एक फ्लाइंग स्कूल में शामिल हो गई। लोगों ने इस बात का काफि विरोध किया, लेकिन उनके माता-पिता ने उनका साथ दिया। उन्होंने अपनी बेटी को पायलट ट्रेनिंग के लिए भेजा।
पिता शेर मोहम्मद जाफरी ने कहा “मेरी बेटी वाणिज्यिक पायलट बनने वाली महाराष्ट्र की पहली शिया लड़की है। मुझे और मेरी पत्नी को इस बात पर बहुत ही गर्व है। यह अल्लाह और हज़रत इमाम हुसैन के आशीर्वाद के कारण हुआ। जिससे हमारा यह सपना साकार हुआ है।” इस नारी को हमारा सलाम।
ये भी पढ़े – देश की सबसे धनी महिला बनी रोशनी नादर, दूसरे नंबर पर रही फाल्गुनी नायर