केतु की महादशा के उपाय – आज हम बात करने वाले है Ketu ki mahadasha ke upay के बारे में लेकिन क्या आप जानते है कि केतु आखिर केतु बना कैसे अगर नहीं तो आइए आपको उस दौर में ले चलते है जब समुंद्र मंथन हुआ था और इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने राहु और केतु का जन्म कर दिया।
दरअसल पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच में समुंद्र मंथन हुआ था। जिसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी और इस दौरान सबसे पहले निकला हलाहल विश जिसे देख सभी भाग खड़े हुए।
क्योंकि हलाहल विश इतना खतरनाक था कि यह जिसपर भी गिरता उसे नष्ट कर देता। तो देवताओं और राक्षसों ने मिलकर अपने बचाव की गुहार लगाई। जिसको सुनकर भगवान शिवजी यानी की भोलेनाथ अपने आप को रोक नहीं पाएं और उन्होंने विशपान कर लिया।
विश इतना खतरनाक था कि भगवान शिवजी का गला नीला पड़ गया और इसी दिन से भोलेनाथ का नाम पड़ा नीलकंठ।
इसके बाद धीरे-धीरे समुंद्र मंथन में अनेकों चीजें निकली। जिनमें अंतिम था अमृत कलश। जिसके निकलते ही हड़कंप मच गया और देवताओं व राक्षसों के बीच इसके सेवन की होड़ लग गई। इस दौरान भगवान विष्णु जी ने योजना बनाई और मोहिनी का रूप रखकर आए।
इसके बाद मोहिनी ने एक तरफ राक्षसों को बिठाया और दूसरी तरफ देवताओं को। इसके बाद शुरू हुआ अमृत का बंटवारा। लेकिन यह सभी जानते थे कि अगर राक्षसों ने अमृत का पान कर लिया तो वह देवताओं का जीना मुश्किल कर सकते है।
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इसीलिए भगवान विष्णु जी के अवतार मोहिनी ने राक्षसों को पानी और देवताओं को अमृत पान कराना शुरू किया। लेकिन उनमें बैठा एक राक्षस चुपचाप जाकर देवताओं के बीच बैठ गया और चुपके से उसने भी अमृत का पान कर लिया।
जिसके बाद इसकी भनक सूर्यदेव और चंद्रदेव को लगी तो उन्होंने विष्णु जी के रूप मोहिनी को सारी सच्चाई बता दी। इसके बाद विष्णु जी अपने रूप में आए और उन्होंने सूदर्शन चक्र चलाकर उस राक्षस का सिर और धड़ अलग कर दिया।
लेकिन तब तक देरी हो चुकी थी क्योंकि वह राक्षस अमृत का पान कर चुका था जिसकी वजह से उसका सिर और धड़ जिंदा रहे। इसके बाद उस राक्षस का सिर वाला भाग राहु बना और धड़ वाला भाग केतु।
इसका एक प्रमाण यह भी है कि सूर्यदेव और चंद्रदेव ने भगवान श्री विष्णु जी को सारी सच्चाई बताई थी इसीलिए आज तक जब ग्रहण लगता है तो राहु सूर्य को ग्रहण लगाता है और केतु चंद्रमा को और यही से शुरूआत हुई राहु और केतु की।
हम जानते है कि आप अब समझ चुके होंगे कि आखिर राहु और केतु की उतपत्ति कैसे हुई तो आइए अब जान लेते है कि अगर किसी पर केतु की महादशा हो तो उसे कौनसे उपाय करने चाहिए।
केतु की महादशा के प्रभाव क्या होते है ?
अगर आप भी जानना चाहते है कि आखिर केतु की महादशा के प्रभाव क्या होते है तो अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगने लगे कि उसका काम खत्म ही नहीं हो रहा। चाहे वह किसी प्रोजेक्ट में लगा रहता हो।
व्यापार में व्यस्त रहता हो या फिर परिवार के कामों की बीच उलझा रहता हो। कहने का मतलब है कि चाहे सुबह हो या फिर रात जिस व्यक्ति के जीवन के काम बढ़ते रहते हो और सफल होने के बजाए बिगड़ जाते हो तो ऐसे व्यक्तियों को समझ जाना चाहिए कि उनपर केतु की महादशा चल रही है।
कितने समय तक रहती है केतु की महादशा और अंतरदशा, केतु में बुध और शुक्र दशा ?
अगर बात करें कि केतु की महादशा या अंतरदशा कितने समय के लिए रहती है तो केतु की महादशा 7 साल की होती है और केतु की अंतरदशा 11 महीने से सवा साल तक की होती है। इतना ही नहीं केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच में आती है।
जिसकी वजह से पहले बुध की महादशा होती है, फिर केतु के 7 साल और बाद में शुक्र के बीस साल की महादशा होती है। वैसे अधिकतर होने वाली बुध और शुक्र की महादशाएं उत्तम ही होती हैं लेकिन इन दोनों के बीच में 7 साल की जो केतु की महादशा होती है वो इंसान को झुंझला कर रख देती है।
केतु की महादशा में कौनसे रोग होते है ?
जब केतु की महादशा चल रही है तो कई प्रकार के रोग जातक को घेरने लगते है जैसे कि
- शरीर की नसों में कमजोरी आने लगती है।
- चर्म रोग हो जाता है।
- कान खराब हो जाता है या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है।
- रीढ़ की हड्डी में परेशानी आने लगती है।
- घुटने में दर्द होने लगता है।
- सेक्स लाइफ खराब होने लगती है।
- जोड़ में दर्द रहने लगता है।
केतु की महादशा के उपाय | Ketu ki Mahadasha Ke Upay
अगर केतु की महादशा चल रही हो तो आपको कुछ विशेष उपायों को अपनाना चाहिए। जिससे कि आप केतु की महादशा को टाल सके। उपाय इस प्रकार है।
- काले रंग की गाय को चारा खिलाना और उसकी सेवा करनी चाहिए।
- गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को अपनी क्षमता के अनुसार भोजन, धन आदि का दान करना चाहिए।
- काले-सफेद कुत्ते को रोजाना भोजन कराना चाहिए।
- काले और सफेद तिल को बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।
- केतु बीज मंत्र ‘ॐ कें केतवे नमः॥’ का जाप करना चाहिए।
केतु की महादशा को दूर करने के लिए लाल किताब के उपाय ?
- लाल किताब के अनुसार केतु की महादशा को दूर करने के लिए गणपति सहस्त्रनाम और भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें दूर्वा से अभिषेक कराना चाहिए।
- केतु की महादशा को दूर करने के लिए केतु के वैदिक मंत्र ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। सुमुषद्भिरजायथाः॥ पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्॥ या फिर केतु के तांत्रिक मंत्र ‘ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।‘ का रोजाना जाप करना चाहिए।
- केतु की महादशा को दूर करने के लिए पीपल वृक्ष की प्रदिक्षणा करनी चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए भगवान गणपति जी की उपासना करनी चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए द्वादश नाम का रोजाना पाठ करना चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए लहसुनिया युक्त केतु यन्त्र गले में धारण करना चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए दत्त चरित्र का ग्यारह परायण करना चाहिए।
- केतु की महादशा में अगर शारीरिक पीड़ा हो जाए तो उसे दूर करने के लिए बकरे के मूत्र से स्नान करना चाहिए और पीड़ित को लोबान की धुप देनी चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए घर में काले-सफेद रंग का कुत्ता पालना चाहिए।
- अगर केतु उच्च का हो तो केतु की चीजों का दान न दें और केतु नीच का हो तो केतु की चीजों का दान न लें।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए भगवान गणेश और देवी मंदिर में नित्य अर्चना करनी चाहिए।
- केतु की महादशा दूर करने के लिए हाथी दांत से बनी वस्तुओं को पहनना चाहिए या फिर स्नान के जल में उसे डालकर स्नान करना चाहिए।
केतु की महादशा को दूर करने के लिए अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल ?
केतु की महादशा का प्रभाव क्या होता है ?
जैसा कि शास्त्र बताते है कि केतु के पास केवल धड़ होता है दिमाग नहीं तो केतु की महादशा के दौरान जातक के लिए बिना दिमाग लगाए काम करने का दौर होता है। क्योंकि केतु की महादशा के दौरान जातक भले ही काम बहुत करें लेकिन उसे कर्म के अनुसार फल नहीं प्राप्त हो पाता।
केतु की महादशा के लक्षण क्या होते है ?
जब किसी जातक की कुंडली में केतु की महादशा होती है तो ऐसे व्यक्ति को रोग घेरने लगते है और यही केतु की महादशा के लक्षण भी होते है।
केतु की महादशा में शनि की अंतर्दशा कितने समय के लिए होती है ?
केतु की महादशा के दौरान शनि की अंतर्दशा 1 साल 1 महीने और 9 दिन की होती है।
केतु की महादशा कितने साल की होती है ?
केतु की महादशा करीब 7 साल की होती है।
केतु की महादशा में बुध की अंतर्दशा कितने समय के लिए होती है ?
केतु की महादशा में बुध की अंतर्दशा 11 महीने 27 दिन की होती है।
केतु की महादशा में गुरु की अंतर्दशा कितने समय की होती है ?
केतु की महादशा में गुरू की अंतर्दशा 11 महीने और 6 दिन की होती है।
केतु ग्रह के देवता कौन है ?
केतु ग्रह के देवता भगवान गणेश जी है।
केतु ग्रह का स्वामी कौन है ?
केतु ग्रह के स्वामी अश्विनी, मघा एवं मूल नक्षत्र है।