चुनावी समीकरण हो या चुनावी रणनीति जब भी यह शब्द आते है तो सबसे पहले जो नाम आता है वो है प्रशांत किशोर का। चाहे 2011 में गुजरात में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए प्रचार हो या 2021 में पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत दर्ज करना चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कई बार भारतीय राजनीति में अपना अहम रोल अदा किया है।
जिसके बाद से एक खबर सामने आ रही है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते है और पार्टी में शामिल करने पर अंतिम फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी। पार्टी सूत्रों की माने तो सोनिया गांधी द्वारा पहले ही परामर्श प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
दरअसल, प्रशांत किशोर चुनाव से संबंधित मुद्दों पर एक पूर्ण भूमिका और निर्णय लेने का अधिकार चाहते हैं और इसीलिए वह कांग्रेस के नेता एवं उम्मीदवारों के चयन को लेकर एक ही व्यक्ति के पास फैसले को लेकर खुली छूट होने के खिलाफ है। अभी तक बीते चुनावों में कांग्रेस 2 बार चुनाव हार चुकी है और हाल ही में अनुभवी नेता अहमद पटेल के निधन के साथ कांग्रेस ने पहले ही अपने एक रणनीतिकार खो दिया है, जिसके बाद से कांग्रेस सलाहकारों की तलाश में है।
सूत्रों की माने तो, प्रशांत किशोर अभी तक कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से कई बार मुलाकात कर चुके है और प्रशांत ने आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों समेत कई विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन एवं पार्टी के पुनरुद्धार को लेकर चर्चा भी की।इस चर्चा के दौरान मौजूद कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने अनौपचारिक रूप से कांग्रेस नेताओं के साथ इस योजना को लेकर ना सिर्फ चर्चा की बल्कि प्रशांत किशोर के पार्टी में प्रवेश के लिए उनकी राय भी मांगते हुए उन्हें पार्टी की चुनावी रणनीति के लिए किस हद तक जिम्मेदारी दी जाए इस पर भी बात की।
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इन दौरान प्रशांत किशोर ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को एक योजना दी है जिसके बाद से वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत के बिंदुओं पर चर्चा की जा रही है। कयास लगाए जा रहे है कि प्रशांत किशोर के जल्द ही कांग्रेस में राजनीतिक रूप से उतरने की संभावना है।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस के द्वारा प्रशांत किशोर को चुनाव प्रबंधन के प्रभारी महासचिव के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन इस दौरान पार्टी के फैसले से पार्टी के वरिष्ठ नेता कुछ खास खुश नजर नहीं आए। पार्टी के वरिष्ठों का कहना है कि चुनाव की एकमात्र जिम्मेदारी एक व्यक्ति को दे देना यह पार्टी के द्वारा अच्छा विचार नहीं है, उनका मानना है कि प्रशांत किशोर पर समग्रता से भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर कोई भी प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने को लेकर खिलाफ नहीं है।
बताते चलें कि, प्रशांत किशोर एक भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार और राजनीतिज्ञ हैं। आरंभ में सार्वजनिक स्वास्थ्य में प्रशिक्षित, प्रशांत किशोर ने भारतीय राजनीति में प्रवेश करने से पहले आठ वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र के लिए भी काम किया है। प्रशांत किशोर इससे पहले भी भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम कर चुके है।
आगामी दिनों में कांग्रेस उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में भी चुनाव की तैयारी को लेकर योजना बना रही है और प्रशांत किशोर ने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और वाईएसआरसीपी के अभियानों को संभाल चुके है, ऐसे में उनका कांग्रेस में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक अच्छी पहल साबित हो सकती है।