मनुष्य के जीवन में भाषा का बहुत महत्व है। हर व्यक्ति अपनी भाषा के जरिये ही अपनी बातों और इच्छाओ को व्यक्त कर पाता है। पुरे विश्व में कई तरह की भाषाएँ बोली जाती है। अलग-अलग देश में अलग-अलग तरह की भाषाएँ बोली व समझी जाती है। इन्ही भाषा के जरिए ही प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से आसानी से बातचीत कर सकता है।
मातृभाषा का अर्थ :
मातृभाषा वह होती है जिसे व्यक्ति जन्म के बाद सबसे पहले बोलना सीखता है ,यह भाषा उसे विरासत में मिली होती है और इसे सीखने के लिए उसे कही बाहर भी नहीं जाना पड़ता। यह भाषा विरासत के तौर पर अपने परिवार से मिलती है। इसी भाषा के माध्यम से ही उसे समाज में पहचान मिलती है। मातृभाषा ही हमारे संस्कारो का संवाहन करती है और हमे राष्ट्रीयता से जोड़ती है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत :
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इस दिवस को मनाने का उदेश्य दुनियाभर की सभी भाषा-संस्कृति (Language culture) के बारे में लोगों को जागरुक करना है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार सबसे पहले बांग्लादेश से आया। ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत कब और कहा से हुई या फिर इसका इतिहास क्या है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा 17 नवंबर सन 1999 में ही कर दी गयी थी। लेकिन पहली बार सन 2000 में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।
इस दिवस को 21 फरवरी के दिन ही मनाने का सुझाव कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा किया गया था। इन्होने बांग्ला भाषा के आंदोलन के दौरान 1952 में हुई नृशंस हत्याओं को स्मरण (याद) करने के लिए यह दिन प्रस्तावित किया था।
विश्व में बोली जाने वाली भाषाएँ की जानकारी :
सन 2011 में की गई एक जनगणना के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 मातृभाषाएं बोली जाती हैं। इन भाषाओ को दो वर्गो में विभाजित किया गया है जैसे :
1 अनुसूचित भाषा और
2 गैर-अनुसूचित भाषा।
इन भाषाओ के बारे में विस्तारपूर्वक जानते है :
1 अनुसूचित भाषा : अनुसूचित भाषाओं की श्रेणी में कुल 123 मातृभाषाएं हैं। इनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, अवधी, हिंदी, राजस्थानी, ============ हरियाणवी, कन्नड़, कोंकणी, मणिपुरी, उड़िया, मलयालम, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, सिंधी, उर्दू, तेलगु ,मराठी, गढ़वाली, छत्तीसगढ़ी, मैथिली, मारवाड़ी, डोगरी, पहाड़ी, संबलपुरी और भोजपुरी आदि शामिल है।
2 गैर-अनुसूचित भाषा : गैर-अनुसूचित भाषाओं की श्रेणी में 147 मातृभाषाओं है। इनमें अफगानी, अरबी, अंग्रेजी, बाउरी, खरिया, किन्नौरी, =============== तुलु, शेरपा, माओ, मोनपा और गुजरी आदि भाषाएँ शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का महत्व :
हर देश या परदेश में अलग-अलग भाषाओं का प्रयोग किया जाता है जैसे :असम में असमिया , बंगाल में बंगाली , गुजरात में गुजरती , राजस्थान में राजस्थानी , हरियाणा में हरियाणवी , मद्रास में मद्रासी , पंजाब में पंजाबी आदि। लेकिन आज के समय में हर जगह कई भाषाओ को बोलने वाले लोग मिल जाते है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व यह है कि इसके जरिये हम भाषाओ और संस्कृति के बारे में जागरूकता को बढ़ावा दे सके। इसी हर वर्ष 21 फरवरी के दिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाया जाता है। आज-कल लोग अपनी भाषा और संस्कृति को भूलते जा रहे है ,लोगो की पसंद दिनपर दिन बदलती जा रही है लोगो की सोच को बदलने के लिए हर वर्ष 21 फरवरी को दुनियाभर में बोली जाने वाली सभी भाषाओ के बचाव व् सरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक पहल कि गयी है।
आने वाले अगले 40 साल में लगभग 4 हजार भाषाओ के खतम होने का खतरा साफ दिख रहा है। भारत शुरू से ही विविध सस्कृति और भाषाओ का देश रहा है। 1961 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती थी , लेकिन अब एक रिपोट के मुताबिक भारत में केवल अब 1365 भाषाएँ बोली जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का कारण :
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का कारण ये है कि लोग धीरे-धीरे अपनी मातृभाषा को भूलते जा रहे है। इसी को देखते हुए सन 2000 में 21 फरवरी को इस दिन को मनाया जाता है और दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान किया जाता है। इस दिन तो मनाये जाने का उद्देश्य विश्व भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता का प्रचार-प्रसार करना है।
2022 मे अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए उपयोग की गयी थीम :
सन 2022 में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष में इसका विषय ‘बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, चुनौतियां और अवसर’ का उपयोग किया गया है। इसके जरिये लोगो को बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने और इन बहुभाषी को उपयोग में लाकर देश के विकास में मदद करने के लिए किया जाये।
सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाएँ :
आज विश्व में सबसे ज्यादा बोले जानी वाली भाषा अंग्रेजी , हिंदी , जापानी , बांग्ला, रूसी, पंजाबी, पुर्तगाली है। वैश्विकरण की दौर में रोजगार की तलाश के लिए और इन रोजगारो को पाने के लिए लोग इन सभी भाषाओ का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे है और अपनी मातृभाषाओं को भूलने लगे है। अगर यही हाल रहा तो हमारी मातृभाषा लुप्त हो जाएगी और बस यही गिनीचुनी भाषाएँ रह जाएगी और फिर हमारी सस्कृति के बारे में हमारी आने वाली पीढ़ी कुछ नहीं जान पायेगी।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इसके इलावा राष्ट्रीय ने यह निर्णय किया है कि 2022 से 2032 के समय के बीच के समय को स्वदेशी का अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में मनाया जायेगा।